दिनाँक 27 व 28 जनवरी के ये दिन नार्मदीय ब्राह्मण समाज के इतिहास में अविश्वरणीय दिनों के रूप में याद किये जावेगें । इतनी अधिक संख्या में अविवाहित युवाओं का एकत्रित होना एवं इतनी संख्या में सामाजिक जनों का भाग लेना अपने आप में आयोजन की सफलता को दर्शाता है, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :-
1 भाई सुभाष महोदय ,अध्यक्ष महासभा का आयोजन के प्रति संजीदगी से लगाव एवं उनका एडमिनिस्ट्रेशन ।
2 भाई दोनो संजय शर्मा व पुरुषोत्तम जोशी जी की प्रत्येक कार्य पर पैनी नज़र एवं आयोजन के लिए उनके द्वारा दिया गया समय ।
3 भाई विश्वदीप ,अध्यक्ष युवा मंच एवं युवा टीम के सदस्य जैसे अखिलेश चौकडे, अंकित शर्मा, भरत उपाध्याय, शुभम गार्गव, जयंत पारे , धनंजय शर्मा,नवनीत उपाध्याय आदि की कर्तव्यनिष्ठा जिन्होंने रात्रि 3 बजे तक कार्य करके आयोजन को सफल बनाने में मुख्य भूमिका का निर्वाहन किया।
3 भाई हेमंत शर्मा जी का सफल संचालन । कु.प्रिया, कु. चार्वी , कु.अंजली ,कु.पल्लवी , कु. दीक्षा एवं महिला मण्डल के सदस्यों द्वारा दो दिनों तक आयोजन में पूर्ण सहभगिता से मिले कार्य को संपादित करना।
4 आदरणीय अनिल पारे साहब , आदरणीय चतुर्वेदी साहब एवं आदरणीय पटवारी साहब द्वारा उम्र के इस पड़ाव पर सुबह से शाम तक खड़े रहकर परिचय सम्मेलन को शांति पूर्ण ढंग से संचालित करना ।
4 आदरणीय पूरे साहब, आदरणीय शैलेंद्र अत्रे साहब व आदरणीय राजा भैया चौरे साहब एवं पारमार्थिक ट्रष्ट के सदस्यों द्वारा किया गया पर्दे के पीछे का कार्य ।
5 युवा टीम का विगत 2 महीनों से अपने अपने क्षेत्रों में किया गया कार्य जिसमे प्रविष्टियां एकत्रित करने के साथ साथ एक आंदोलन के रूप में माहौल तैयार करना । इससे लोगों में आयोजन के प्रति जिज्ञासा को बढ़ावा मिला तथा संख्या सोच से कहीं ज्यादा हुई।
5 आयोजन में पधारे सामाजिक महिला,पुरुष एवं युवा सदस्यों का धैर्यपूर्ण रवैया । इतनी अधिक संख्या बगैर किसी पुलिस बल के बिना किसी सुरक्षा गार्ड के समरसता के साथ आयोजन को सफल बनाने में योगदान देना , यह नार्मदीय समाज में ही हो सकता है , इसका साकार होना।
उपरोक्त बिंदू तो जो मैंने देखे थे उनका विवरण किया है । इसके अलावा भी बहुत सारे बिंदु एवं बहुत सारे सामाजिक सदस्यों ने अपना योगदान दिया होगा तभी इतना ऐतिहासिक आयोजन सफल हुआ । इसमें कई त्रुटियां भी रही है पर वे ऐसी नही हैं जिनका उल्लेख किया जाए । वे तो ऐसी त्रुटियां थी जो होनी ही थी । जैसे पुस्तिका (परिणय-मिलन) में त्रुटियां ,खाना कम पड़ना एवं उसका तत्काल प्रबन्ध करना , जगह की कमी, सामाजिक जनो के इतने बड़े हुजूम को व्यवस्थित करने में किसी से कुछ कहना । इसको मैं तो गलती नही कह सकता । क्योंकि आयोजन सामिति की अनुमानित संख्या 2000 से 2200 रही होगी , उस स्थान पर 3000से 3200 सामाजिक जनो का एकत्रित होना । अर्थात सोच से 800 अधिक इसमें गलती व त्रुटि निकालना ❓लगाता है।
NOTE :- इसे आयोजन की सफलता कहा जाए या समाज की व्यथा । 639 युवा अपनी शादी करना चाहते हैं,और इसके लिए उन्हें मंच भी दिया गया । पर धन्य है कि एक भी लडक़ी के परिजनों को अपनी लड़की के योग्य एक भी लड़का नही मिला । तथा एक भी लड़के के परिजनों को अपने लड़के के अनुसार कन्या नही मिली। यही सोच हमारे अविवाहित युवाओं की तादात को यहां तक पहुँचा दिया है ।यह हमारे सामाजिक परिजनों की किस सोच को दर्शाता है ? यह आप सभी पर छोड़ता हूँ।
आगे करना है :---
1. पुस्तिका (परिणय-मिलन) में हुई प्रिंटिंग मिस्टेक्स को सुधार कर त्रुटि सुधार के रूप में दो या तीन पेपर पर टाईप करके फ़ोटो कॉपी करके सभी 639 सदस्यों तक पहुचाने का कार्य ।
2. एक सामिति का निर्माण करना जो पुस्तिका में दिए गए बॉयोडाटा के अनुसार लड़के व लड़की के परिजनों से चर्चा करके उन्हें योग्य वर एवं वधु तलाशने में मदद करे।
आयोजन सामिति के सभी सदस्यों को आयोजन की सफलता के लिए सादर बधाई एवं शुभकामनाएं।
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